प्रथम
Thursday 27 November 2014
एक गज़ल जिसमें निराशा और आशा दोनों छिपे हुए हैं। इसके हर शेर को अलग अलग पढ़ कर देखें फिर एक साथ पढ़ें, आपको बैक्ग्राउन्ड की कलाकृति नये मायने बतायेगी।
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