प्रथम
Monday 9 February 2015
There is no substitute of hardwork. ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते………… केवल कर्म करने का ही है अधिकार, फल का नहीं। फिर भी लोग बिना मेहनत किये फल पर नज़र गड़ाये रहते हैं और ईश्वर को भी तंग करते रहते हैं। ये कहाँ तक उचित है?
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