Saturday 13 December 2014

क्या धर्मग्रन्थ हमें ये नहीं सिखाते कि कथनी और करनी में समानता होनी चाहिये? आइये अपने अन्त:करण को टटोलें और खोजें इसका जवाब। अपना विश्वास अपने धर्म पर क़ायम रखें, आप को अपना धर्म बदलने की ज़रूरत नही पड़ेगी। हाँ, जो धर्मग्रंथ हमारी समझ और सोच में सहिष्णुता न पैदा कर सके वो निरर्थक नहीं तो क्या है?


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