Thursday 18 December 2014

दहशतगर्दों के नाम लिये तो जायेंगे मग़र सिर्फ़ नफ़रत से, क्यों कि वे नफ़रत ही तो फ़ैलाते हैं। धर्म की आड़ लेना इनकी मज़बूरी है, हमारी समझ में न जाने कब ये बात आयेगी। काश इन्हें ऐसी मौत मिले जिसका इन्हें एहसास तक न हो, उसके पहले इन्हें कोई मज़हब का असली मतलब समझा देता।








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